थैलासीमिया
थेलेसीमिया (अंग्रेज़ी:Thalassemia) बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त-रोग है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिसके कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
परिचय
थैलासीमिया दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थेलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थेलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है।[1] किन्तु पालकों में से एक ही में माइनर थेलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। यदि माता-पिता दोनों को माइनर रोग है तब भी बच्चे को यह रोग होने के २५ प्रतिशत संभावना है।।[2][3] अतः यह अत्यावश्यक है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जाँच करा लें।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत देश में हर वर्ष सात से दस हजार थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का जन्म होता है। केवल दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ही यह संख्या करीब १५०० है। भारत की कुल जनसंख्या का ३.४ प्रतिशत भाग थैलेसीमिया ग्रस्त है।[2] इंग्लैंड में केवल ३६० बच्चे इस रोग के शिकार हैं, जबकि पाकिस्तान में १ लाख और भारत में करीब 10 लाख बच्चे इस रोग से ग्रसित हैं।[4]
इस रोग का फिलहाल कोई ईलाज नहीं है। हीमोग्लोबीन दो तरह के प्रोटीन से बनता है अल्फा ग्लोबिन और बीटा ग्लोबिन। थैलीसीमिया इन प्रोटीन में ग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया में खराबी होने से होता है। जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से नष्ट होती है। रक्त की भारी कमी होने के कारण रोगी के शरीर में बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। रक्त की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है[1] एवं बार-बार रक्त चढ़ाने के कारण रोगी के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्वजमा होने लगता है, जो हृदय, यकृत और फेफड़ों में पहुँचकर प्राणघातक होता है।[2] मुख्यतः यह रोग दो वर्गों में बांटा गया है:
- मेजर थैलेसेमिया:
यह बीमारी उन बच्चों में होने की संभावना अधिक होती है, जिनके माता-पिता दोनों के जींस में थैलीसीमिया होता है। जिसे थैलीसीमिया मेजर कहा जाता है।
- माइनर थैलेसेमिया:
थैलीसीमिया माइनर उन बच्चों को होता है, जिन्हें प्रभावित जीन माता-पिता दोनों में से किसी एक से प्राप्त होता है।[3]जहां तक बीमारी की जांच की बात है तो सूक्ष्मदर्शी यंत्र पर रक्त जांच के समय लाल रक्त कणों की संख्या में कमी और उनके आकार में बदलाव की जांच से इस बीमारी को पकड़ा जा सकता है।
पूर्ण रक्तकण गणना (कंपलीट ब्लड काउंट) यानि सीबीसी से रक्ताल्पता या एनीमिया का पता लगाया जाता है। एक अन्य परीक्षण जिसे हीमोग्लोबिन इलैक्ट्रोफोरेसिस कहा जाता है से असामान्य हीमोग्लोबिन का पता लगता है। इसके अलावा म्यूटेशन एनालिसिस टेस्ट (एमएटी) के द्वारा एल्फा थैलीसिमिया की जांच के बारे में जाना जा सकता है। मेरूरज्जा ट्रांसप्लांट से भी इस बीमारी के उपचार में मदद मिलती है।
लक्षण
सूखता चेहरा, लगातार बीमार रहना, वजन ना ब़ढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थेलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं।
बचाव एवं सावधानी
थेलेसीमिया पीडि़त के इलाज में काफी बाहरी रक्त चढ़ाने और दवाइयों की आवश्यकता होती है। इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते,[5] जिससे १२ से १५ वर्ष की आयु में बच्चों की मृत्य हो जाती है। सही इलाज करने पर २५ वर्ष व इससे अधिक जीने की आशा होती है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, रक्त की जरूरत भी बढ़ती जाती है।[6]
- विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जाँच कराएँ।[4]
- गर्भावस्था के दौरान इसकी जाँच कराएँ[7]
- रोगी की हीमोग्लोबिन ११ या १२ बनाए रखने की कोशिश करें
- समय पर दवाइयाँ लें और इलाज पूरा लें।[7]
विवाह पूर्व जांच को प्रेरित करने हेतु एक स्वास्थ्य कुण्डली का निर्माण किया गया है, जिसे विवाह पूर्व वर-वधु को अपनी जन्म कुण्डली के साथ साथ मिलवाना चाहिये। स्वास्थ्य कुंडली में कुछ जांच की जाती है, जिससे शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़े यह जान सकें कि उनका स्वास्थ्य एक दूसरे के अनुकूल है या नहीं। स्वास्थ्य कुंडली के तहत सबसे पहली जांच थैलीसीमिया की होगी। एचआईवी, हेपाटाइटिस बी और सी। इसके अलावा उनके रक्त की तुलना भी की जाएगी और रक्त में RH फैक्टर की भी जांच की जाएगी।[3]
शोध और विकास
थैलेसीमिया पर विश्व भर में शोध अनुसंधान अन्वरत जारी हैं। इन प्रयासों से ही थैलीसीमिया पीड़ितों के लिए एक दवाई अविष्कृत हुई थी। इस दवाई से बच्चों को अब इंजेक्शन के दर्द को नहीं झेलना पड़ेगा। जल्दी ही भारतीय बाजार में ये दवा आने वाली है, जिसे खाने से ही शरीर में लौह मात्रा नियंत्रित हो जाएगी। असुरां नाम की यह दवा पश्चिमी देशों में एक्स जेड नाम से पहले से ही प्रयोग हो रही है। इससे इलाज का खर्च भी कम हो जाएगा, किंतु इसके दुष्प्रभावों (साइड एफ़ेक्ट्स) में इससे किडनी प्रभावित होने का एक परसेंट खतरा बना रहता है। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के थैलीसीमिया इकाई के अध्यक्ष डॉ॰ वीरेंद खन्ना के अनुसार[2]भारत में अतिरिक्त लौह निकालने के लिए दो तरीके प्रचलन में हैं। पहले तरीके में डेसोरॉल (इंजेक्शन) के जरिए आठ से दस घण्टे तक लौह निकाला जाता है। यह प्रक्रिया बहुत महंगी और कष्टदायक होती है। इसमें प्रयोग होने वाले एक इंजेक्शन की कीमत १६४ रुपए होती है। इस प्रक्रिया में हर साल पचास हजार से डेढ़ लाख रुपए तक खर्च आता है। दूसरी प्रक्रिया में कैलफर नामक दवा (कैप्सूल) दी जाती है। यह दवा सस्ती तो है लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले ३० प्रतिशत रोगियों को जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है। साथ ही इनमें से एक प्रतिशत बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में नई दवा असुरां काफ़ी लाभदायक होगी। यह दवा फलों के रस के साथ मिलाकर पिलाई जाती है और इसकी कीमत १०० रुपये प्रति डोज है।[2]
मेरु रज्जू ट्रांस्प्लांट
थैलेसीमिया के लिये स्टेम सेल से उपचार की भी संभावनाएं हैं। इसके अलावा इस रोग के रोगियों के मेरु रज्जु (बोन मैरो) ट्रांस्प्लांट हेतु अब भारत में भी बोनमैरो डोनर रजिस्ट्री खुल गई है।[10] मैरो डोनर रजिस्ट्री इंडिया (एम.डी.आर.आई) में बोनमैरो दान करने वालों के बारे में सभी आवश्यक जानकारियां होगी जिससे देश के ही नहीं वरन विदेश से इलाज के लिए भारत आने वाले रोगियों का भी आसानी से उपचार हो सकेगा। यह केंद्र मुंबई में स्थापित किया जाएगा। ऐसे केंद्र वर्तमान में केवल अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशो में ही थे। ल्यूकेमिया और थैलीसीमिया के रोगी अब बोनमैरो या स्टेम सेल प्राप्त करने के लिए इस केंद्र से संपर्क कर मेरुरज्जु दान करने वालों के बारे में जानकारी के अलावा उनके रक्त तथा लार के नमूनों की जांच रिपोर्ट की जानकारी भी ले पाएंगे। जल्दी ही इसकी शाखाएं महानगरों में भी खुलने की योजना है।
Click Bell Icon for All News
If you are looking for Online #Beautician Booking App Development service for android & iOS, look no further than Appilab. We will help you build the best on demand Beautician booking app development in the market and help you stay ahead of your competitors with ease.
ReplyDeleteAppilab provides the best Gojek app clone script in the market with various features that you will require for your Gojek clone app development.
ReplyDeleteOnline Hospital Inventory Management Software . Monitor stock, reorder level & warehouses digitally. Streamline your processes with LHMS Inventory software for hospital business. Easy To Use.
ReplyDeleteDynode Software is a Ecommerce development company in Patna with expertise in .NET, PHP, Iphone App Development, SEO, Web Designing, Graphic Designing, Android Development, IPad, Apple watch, I beacon and Phone gap app development. Our Aim to provide best services to our clients, for that we have an expert team of developers, designers & testers who give their best to fulfill our client's requirement.
ReplyDeleteDynode Software leading IT Company in Patna . is a deep-tech Product engineering and consulting firm. We specialize in designing and developing bespoke software solutions that cater to solving niche business problems. We engage with our clients at different stages: - Right from the idea stage to scope out business requirements. - Design & architect the right solution and define tangible milestones
ReplyDeleteThere are many players in the game, but one is really starting to make some noise, and that Digital marketing, SEO company, and Social Media. Dynode Software is a top website development agency in Patna . It is rated as one of the top web development agencies in Bihar.
ReplyDeleteDynode Software LHMS, industry-leading EHR has been co-created with over 1000+ medical professionals, it understands real pain with the perfect solution for doctors and clinic staff. You never met an EHR like this before! Physicians work smarter, not harder. Get hospital management system web application in Patna.
ReplyDeletePMS ERP is an integrated Advanced GST Ready Billing, Accounting and Stock Management Software for Small Business to Large Enterprises. Operated from (Online or Offline) Desktop Computers and Mobile Application. Get Sales And Inventory Software in Patna .
ReplyDeleteDigital DCR has delivered a flexible and cost effective CRM / SFA solution for the pharma industry sales forces. Fast and easy to use and maintain, Digital DCR enables instant call reporting data thereby empowering teams to increase profitability through better customer relationship management. Get the best Doctor Visit Report Software in Patna.
ReplyDeleteClothing, Garment, Readymade garment point of sale systems with intelligent features such as unique barcoding, quick stock taking with PDA. Contact us for Billing Software with GST Invoice.
ReplyDeletePMS ERP Best Accounting Software For Small Business in Patna helps you simplify administration, publish content, manage inquiries streamline observations, and improve planning. It's time for a better childcare management platform.
ReplyDelete